भागवत कथा में श्री कृष्ण रुक्मिणी विवाह ने श्रद्धालुओं का मोहा मन।

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जगदीशपुर अमेठी
जगदीशपुर के औद्योगिक क्षेत्र के ग्राम उतेलवा में प्रधान के यहां चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन मंगलवार को श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह के आयोजन को बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।कथावाचक पंडित देवेन्द्र जी महाराज ने रास पंच अध्याय का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय है। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण है। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उद्धव गोपी संवाद, उद्धव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना व रुकमणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। भारी संख्या में भक्तगण दर्शन के लिए शामिल हुए। कथा के दौरान पंडित देवेन्द्र जी महाराज ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया। महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ। भगवान श्रीकृष्ण रुकमणी के विवाह की झांकी ने उपस्थित लोगों को खूब आनंदित किया। कथा स्थल पर रुक्मिणी विवाह के आयोजन ने श्रद्घालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। श्रीकृष्ण रुक्मिणी की वरमाला पर जमकर फूलों की बरसात हुई। इस दौरान डॉ० एम के त्रिपाठी, सीएचसी अधीक्षक डॉ० प्रदीप तिवारी, नागेन्द्र तिवारी, प्रधान प्रतिनिधि नागेन्द्र तिवारी, राघवेन्द्र तिवारी ,रजनी तिवारी, ज्ञानेंद्र तिवारी, शैलेन्द्र त्रिपाठी मौजूद रहे।

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