सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे के खिलाफ कार्रवाई का जिम्मा जिनके कंधों पर है, वही अफसर नियमों की अवहेलना कर रहे हैं। राजधानी में तैनात एक आईएएस अफसर के पिता ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर वेयर हाउस बनवा लिया है।
आईएएस के पिता ने वर्ष 2020 में साझेदार के साथ मिलकर मोहनलालगंज तहसील के तहत सिसेंडी में दो प्लॉट खरीदे। इनके बीच में सरकारी जमीन (नाली/सुरक्षित श्रेणी की जमीन) थी। नियम ताक पर रखकर इस पर अवैध निर्माण शुरू कर दिया गया। तहसील प्रशासन ने कार्रवाई की तैयारी की तो पता चला कि जमीन आईएएस अफसर के पिता ने खरीदी है, इसलिए वे पीछे हट गए। प्रशासनिक अमला तमाशबीन बना रहा और सरकारी जमीन पर कब्जा हो गया। एक साल में यहां आलीशान वेयर हाउस बनकर तैयार हो गया, जहां आज भी निर्माण जारी है।
इंजीनियर पर हुई थी कार्रवाई, आईएएस का रसूख पड़ा भारी
खास बात यह है कि एलडीए के तत्कालीन चीफ इंजीनियर इंदु शेखर सिंह ने भी सिसेंडी इलाके में ही जमीन खरीदी थी। वर्ष 2022 में वह इस पर निर्माण करवा रहे थे। प्रशासन ने छानबीन की तो पता चला कि चीफ इंजीनियर सरकारी जमीन पर कब्जा कर निर्माण करवा रहे हैं। मामला तूल पकड़ा तो एफआइआर दर्ज करवाई गई। प्रशासन ने चीफ इंजीनियर का अवैध निर्माण ध्वस्त भी करवा दिया। हालांकि, बगल में ही आईएएस अफसर के पिता साझेदार के साथ सरकारी जमीन पर कब्जा करते रहे। यही नहीं, तहसील प्रशासन की मदद से उन्होंने भूमि परिवर्तन भी करवा लिया। सूत्रों के मुताबिक इस वेयर हाउस से लाखों का किराया वसूला जा रहा है। यही नहीं, इसकी फायर एनओसी तक नहीं ली गई। शेष जमीन पर चहारदीवारी खड़ी कर दी गई है।
…तो क्या जमा नहीं की थी चालान की धनराशि
नियम के मुताबिक भूमि उपयोग परिवर्तन के लिए चालान की रकम जमा की जाती है। हालांकि, आईएएस के पिता ने जब जमीन परिवर्तन का आदेश कराया तो उसमें चालान या रकम का उल्लेख नहीं किया गया। सवाल है कि क्या आईएएस के दबाव में ऐसा किया गया या अफसर के पिता ने चालान की राशि ही नहीं जमा की? जांच के बाद ही जवाब सामने आ सकेगा।
सड़क से सटी जमीन की कीमत करोड़ों में
सिसेंडी से करीब डेढ़ किमी. दूर मुख्य मार्ग से सटी इस जमीन की कीमत करोड़ों में है। सड़क की चौड़ाई भी आठ मीटर से ज्यादा है। माना जा रहा है कि भविष्य में सड़क का चौड़ीकरण किया जाएगा। यही वजह है कि वेयर हाउस का निर्माण सड़क से सटाकर नहीं किया गया है। सरकारी जमीन पर कब्जे के खेल में प्रशासन के कई अफसर शामिल हैं। प्रकरण की जांच होती है तो कई कर्मचारियों व अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।
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